एक लालची किसान से कहा गया कि वह दिन में जितनी जमीन पर चलेगा वह उसकी हो जाएगी, बशर्ते वह सूरज डूबने तक की जगह पर वापस लौट आए। ज्यादा से ज्यादा जमीन पाने के लिए वह किसान दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही निकल पड़ा।

वह काफ़ी तेजी से चल रहा था क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा जमीन हासिल करना चाहता था। थकने के बावजूद वह सारी दोपहर चलता रहा, क्योंकि वह जिंदगी में दौलत कमाने के लिए हासिल हुए उस मौके को गँवाना नहीं चाहता था।

दिन ढलते वक़्त उसे वह शर्त याद आई कि उसे सूरज डूबने से पहले शुरूआत की हुई जगह पर पहुँचना है। अपनी लालच की वजह से वह उस जगह से काफी दूर निकल आया था, और वह वापस लौट पड़ा।

सूरज डूबने का वक़्त ज्यों – ज्यों क़रीब आता जा रहा था , वह उतनी ही तेजी से दौड़ता जा रहा था। वह बुरी तरह थक कर हॉफने लगा , फिर भी वह बर्दाश्त से अधिक तेजी से दौड़ता रहा।

नतीजा यह हुआ कि सूरज डूबते – डूबते वह शुरूआत वाली जगह पर पहुँच तो गया, पर उसका दम निकल गया और वह मर गया। उसको दफना दिया गया और उसे दफ़न करने के लिए जमीन के बस एक छोटे से टुकड़े की ही जरूरत पड़ी।


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